how to make vermicompost in hindi
वर्मी कम्पोस्ट क्या है ?
वर्मी कम्पोस्ट एक तरह का “जैविक खाद” है इसे केचुँआ खाद भी कहा जाता है। इस खाद को किसान अपने घर पर आसानी से तैयार कर सकता है बगैर किसी लागत के। वर्मी कम्पोस्ट केंचुँए आदि कीड़े को विघटित करके एवं वन्य पदार्थों और भोजन पदार्थों को विघटित करके बनाया जाता है।सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि यह वातावरण के अनुकूल होता है एवं इससे किसी भी तरह का प्रदूषण नहीं फैलता है। जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है एवं बंजर से बंजर जमीन भी वर्मी कंम्पोस्ट के उपयोग से ऊपजाउ बन जाती है।

वर्मी कम्पोस्ट कितने दिन में तैयार होता है ?
वर्मी कम्पोस्ट दो महीने के अंदर तैयार हो जाता है। इसमें पोषक तत्व के साथ – साथ, 3 प्रतिशत नाइट्रोजन, 2 प्रतिशत फास्फोरस और 2 प्रतिशत तक पोटाश पाया जाता है।प्रत्येक महीने यदि आप एक टन खाद प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको 100 वर्गफुट आकार के नर्सरी बेड की आवश्यकता होगी।वर्मी कम्पोस्ट खाद 2 टन मात्रा प्रति हेक्टेयर आवश्यक होती है।
केचुँआ खाद या वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने की विधि –
• जमीन के ऊपर नर्सरी बेड तैयार करें, बेड को लकड़ी से पीटकर समतल बनाकर तैयार कर लें।
• इस बेड पर 5-6 सेण्टीमीटर मोटी बालू या बजरी की एक परत बिछा दें।
• जिस कचरे से खाद तैयार करना चाहते हैं उससे प्लास्टिक, काँच एवं लकड़ी के टुकड़े निकाल कर अलग कर दें।
• केचुँआ को आधा अपघटित पदार्थ खाने को दिया जाता है।
• बालू की तह पर 7 इंच दोमट मिट्टी बिछायें।
• इस पर आसानी से अपघटित होने वाले पदार्थ जैसे नारियल की बूछ, गन्ने के पत्ते इत्यादि डालें। इसके ऊपर 3 इंच पकी हुई गोबर खाद डाल दें।
• अब इसे गोबर या पत्ते से बने 4 इंच मोटी टाट से ढक दें।
• आवश्यकता अनुसार प्रतिदिन पानी का छिड़काव करें ताकि 45 से 50 प्रतिशत नमी बनी रहे और इस बात का ध्यान रखें कि नर्सरी बेड का तापमान 25 से 30 डिग्री सेण्टीग्रेट बनीं रहे।
• 30 दिन बाद छोटे केचुँए दिखने लगेंगे। 31 वें दिन इस बेड पर कचरे की 3 इंच मोटी तह बिछाकर उसे नम कर दें।
• 42 वें दिन पानी का छिड़काव बंद कर दें।
• यह खाद डेढ़ से दो महीने में इस पद्धति से तैयार हो जाएगा। यह दिखने में चाय का पाऊडर सा प्रतीत होता है एवं इसमें मिट्टी के समान सोंधी गंध होती है।
खाद निकालते समय कुदाली, खुरपी इत्यादि का प्रयोग ना करें। खाद निकालते समय हाथ का प्रयोग करें।
• खाद निकालने का बाद उसका छोटा – छोटा ढेर बना दें जिससे केचुँए खाद के निचले सतह में रह जाए।
वर्मी कम्पोस्ट से किसानों को मिलने वाले फायदे
• भूमि में नमी बढ़ जाती है इससे सिंचाई के अंतराल में वृद्धि होती है।

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